पुरे साल में सिर्फ 84 दिन इंटरनेशनल क्रिकेट, BCCI की कमाई में 29 फीसदी लगा घाटा, WCA की सनसनीखेज सिफारिश

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। आईपीएल 2025 सीजन की शुरुआत हो चुकी है और भारत समेत दुनियाभर के कई बड़े क्रिकेटर अगले 2 महीने तक इसमें अपना दमखम दिखाते रहेंगे। लेकिन दूसरी ओर, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच टी-20 और वनडे सीरीज शुरू हो रही है। पाकिस्तान सुपर लीग का नया सीजन भी कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी होगी, साथ ही श्रीलंका, अमेरिका और वेस्टइंडीज में टी-20 लीग भी शुरू होंगी। लेकिन अगले कुछ सालों में यह स्थिति बदल सकती है और पूरे साल सिर्फ टी-20 लीग ही खेली जाएंगी, जबकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को सिर्फ 84 दिन का समय मिलेगा। ऐसा तभी हो सकता है जब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड विश्व क्रिकेटर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूसीए) की रिपोर्ट को लागू करने पर सहमत हो जाएं।
पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के विभिन्न देशों में कई टी-20 लीग आयोजित की गई हैं। भारत और पाकिस्तान के अलावा ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक टी-20 फ्रेंचाइजी लीग खेली जा रही हैं, जो साल के अलग-अलग महीनों में आयोजित की जाती हैं। इनमें से कुछ एक ही समय पर खेले जाते हैं। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट भी जारी रहता है, जिसके कारण कई बड़े खिलाड़ी इस लीग में नहीं खेलते हैं। या फिर लीग की वजह से कई खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से भी ब्रेक लेना शुरू कर दिया है। इस वजह से लगातार यह बहस चल रही है कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कम किया जाना चाहिए या लीग क्रिकेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए साल में 4 विंडो
इस संबंध में डब्ल्यूसीए ने एक सर्वेक्षण के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है जिसमें पैट कमिंस, राशिद खान, एलिसा हीली, एडेन मार्करम, जोस बटलर, टिम साउथी समेत कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों से सवाल पूछे गए थे। रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में टी-20 लीगों की बढ़ती लोकप्रियता को प्राथमिकता देने की अतीत की प्रथा का वर्णन किया गया है। इस रिपोर्ट में टी-20 फ्रेंचाइजी लीग को क्रिकेट का भविष्य माना गया है और आईसीसी से इसे प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है।
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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मुकाबले टी20 लीग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए साल में 4 अलग-अलग विंडो दी जानी चाहिए। इसके अनुसार, प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए 84 दिन आवंटित किए जाने चाहिए, जिन्हें 21-21 दिनों के चार अलग-अलग विंडो में विभाजित किया जाएगा। ये विंडो फरवरी-मार्च, मई-जून, सितम्बर और दिसम्बर में दी जानी चाहिए। इस अवधि के दौरान कोई भी टी-20 लीग नहीं खेली जाएगी। इससे खिलाड़ियों को टी-20 लीग में खेलने में कोई परेशानी नहीं होगी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से टकराव भी नहीं होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान प्रत्येक टीम कम से कम एक श्रृंखला खेलेगी, जिसमें तीनों प्रारूपों से कम से कम एक मैच शामिल होगा। प्रत्येक प्रारूप की एक लीग तालिका होगी, जिसके आधार पर टीमें उस प्रारूप की आईसीसी विश्व चैम्पियनशिप के लिए अर्हता प्राप्त कर सकेंगी। यह सब दो साल के चक्र पर तय किया जाएगा।
बीसीसीआई की कमाई में बड़ी गिरावट
इसके अलावा इस रिपोर्ट में एक और बड़ा मुद्दा आईसीसी का राजस्व है। आईसीसी अपने आयोजनों के प्रसारण अधिकारों से जो राजस्व अर्जित करता है उसका एक हिस्सा प्रत्येक देश के क्रिकेट बोर्ड को वितरित किया जाता है। नवीनतम खंड के अनुसार, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को आईसीसी से अधिकतम 38.5 प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है क्योंकि भारतीय प्रसारणकर्ता आईसीसी के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान सहित अन्य देशों के क्रिकेट बोर्डों को 10 प्रतिशत से भी कम धनराशि मिलती है।
इसको लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बीसीसीआई का दबदबा बढ़ा है। इस रिपोर्ट में इसे हटाने की भी सिफारिश की गई है। यह रिपोर्ट अधिकतम और न्यूनतम आय वितरण की आवश्यकता पर बल देती है। इसके तहत आईसीसी के शीर्ष 24 सदस्यों के बीच अधिकतम 10 प्रतिशत और न्यूनतम 2 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी होनी चाहिए। यानी अगर इसे लागू किया जाता है तो बीसीसीआई को आईसीसी से 38.5 फीसदी की जगह अधिकतम 10 फीसदी ही पैसा मिल सकेगा। डब्ल्यूसीए ने यह रिपोर्ट आईसीसी को सौंप दी है।