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मुंबई की झुग्गी में बीता बचपन, पिता के साथ किराने की दुकान में बंटाती थी हाथ, एशिया कप सेमीफाइनल में स्टार रही राधा की कहानी

 

क्रिकेट न्यूज़ डेस्क ।। भारतीय महिलाओं ने पहले सेमीफाइनल में बांग्लादेश को सिर्फ 80 रनों पर रोक दिया और फिर 11 ओवर में 10 विकेट से जीत हासिल कर फाइनल में जगह पक्की कर ली. महिला टी20 एशिया कप के सेमीफाइनल में भारत की एकतरफा जीत में गेंदबाजों ने अहम भूमिका निभाई. हर कोई चार ओवर में 10 रन देकर तीन विकेट लेने वाली तेज गेंदबाज रेणुका सिंह की बात कर रहा है, जिन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड दिया गया. स्मृति मंधाना के नाबाद अर्धशतक की तारीफ हो रही है, लेकिन इन सबके बीच राधा यादव का प्रदर्शन कहीं छिप गया है. स्पिनर राधा यादव ने चार ओवर में 14 रन देकर तीन विकेट लिये. आइए आपको बताते हैं राधा यादव के संघर्ष की कहानी। इस महिला क्रिकेटर की कहानी बेहद प्रेरणादायक और अद्भुत है।

पिता की छोटी सी दुकान
राधा यादव महिला क्रिकेट का उभरता सितारा हैं. राधा का जन्म मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के अजोशी गांव में हुआ था। आजीविका की तलाश में राधा के पिता मुंबई आये और यहां डेयरी उद्योग से जुड़ गये। वह इलाके में एक छोटी किराना दुकान भी चलाता है। राधा की शुरुआती क्रिकेट कोचिंग मुंबई में हुई। राधा ने छह साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। पहले वह स्थानीय बच्चों के साथ खेलती थी। गली में स्टंप लेकर लड़कों के बीच अकेली खेल रही लड़की को पड़ोसी ताना मारते थे। लेकिन परिवार ने कभी दूसरों की बात नहीं सुनी और बेटी को अपना मनचाहा करियर चुनने की आजादी दी।

यूपी में जन्म हुआ, क्रिकेट मुंबई में सीखा
मुंबई जैसे महानगर में छोटी सी किराना दुकान से घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल था। ऊपर से नगर निगम अक्सर दुकान हटा देता था, ऐसी विपरीत परिस्थितियों में राधा के पास किट तो दूर, बल्ला खरीदने तक के पैसे नहीं थे। तब वह लकड़ी का बल्ला बनाकर प्रैक्टिस करती थीं। उनके पिता उन्हें साइकिल से घर से तीन किमी दूर राजेंद्रनगर के स्टेडियम में छोड़ देते थे और दूसरी तरफ से राधा कबी कभी टेम्पो से तो कभी पैदल घर आती थीं। मेहनत धीरे-धीरे रंग लाई. राधा यादव को 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए चुना गया था। अब उन्हें बीसीसीआई से सालाना 10 लाख रुपये मिलते हैं. वह सी ग्रेड में आती हैं, पहले वह बी ग्रेड में थीं, जिसमें उन्हें 30 लाख रुपये मिलते थे.

भारतीय टीम फाइनल में पहुंच गई है
अपनी पहली कमाई से राधा ने अपने पिता के लिए एक दुकान खरीदी। अब राधा एक घर खरीदना चाहती है ताकि वह पूरे परिवार के साथ आराम से रह सके। पारी की शुरुआत में रेणुका ने लगातार चार ओवर फेंके और 10 रन देकर तीन विकेट लिए. जहां उन्होंने बांग्लादेश के शीर्ष क्रम को हिलाकर रख दिया, वहीं राधा ने मध्यक्रम के बल्लेबाजों को अपनी फिरकी पर नचाया। राधा यादव ने निगार सुल्ताना, रुमाना अहमद और नाहिदा अख्तर के विकेट लिए. इसके बाद स्मृति मंधाना ने 39 गेंदों में नौ चौकों और एक छक्के की मदद से नाबाद 55 रन और शेफाली वर्मा ने 28 गेंदों में दो चौकों की मदद से नाबाद 26 रन का योगदान दिया. दोनों की आक्रामक बल्लेबाजी के कारण भारत को 54 गेंद शेष रहते लक्ष्य हासिल करने में कोई कठिनाई नहीं हुई.